ये पांच कारण जिससे होता है छात्रों का भविष्य बर्बाद .

जिस उम्र में छात्रों का ध्यान केवल अपनी पढ़ाई और करियर पर होना चाहिए. उस उम्र में छात्र अपने गलत आचरण की वजह से द:ख और अवसाद के दलदल में फंसे होते हैं . इस दु:ख का कारण कोई ओर नही बल्कि खुद छात्रों के द्वारा ही पैदा किया हुआ है . युवा अपने छात्र जीवन से ही, मानसिक तनाव व अवसाद के कारण चिढ़चिढ़े व गुस्सैल प्रवर्ति के हो जाते हैं . समाचार पत्रों और टीवी पर पर छात्रों द्वारा किए जा रहे अपराध की खबरे आम हो चुकी है . ज्यादातर अपराधियों की उम्र 15-से 25 के बीच ही होती हैं . ऐसा क्या कारण है कि आजकल युवा छात्रों की अपराधी प्रवर्ति की दर बढ़ती ही जा रहीं हैं . 





इस लेख के द्वारा हम उन पांच कारणों की बात करेगें जिसका इस घटना में अहम रोल है .





नशा -

आज के छात्र तेजी से नशे की गिरफ्त में आते जा रहें हैं . नशा चाहे किसी भी प्रकार का हो ,हर तरह का नशा खतरनाक है . लेकिन युवा छात्र इस खतरनाक नशे को जीवन शैली का हिस्सा मानने लगे हैं . नशे का आलम यह है कि कम उम्र के छात्र भी इसकी गिरफ्त में तेजी से आ रहें हैं . नशा ना केवल शरीर को गम्भीर हानि पंहुचाता है बल्कि करियर भी बर्बाद कर देता है . 
युवा छात्रों में नशे की स्थिति यह है कि अपनी युवा अवस्था में ही वह वृद्धोंं जैसे नजर आते हैं . 
इस गाने के बोल युवाओं पर एकदम सही साबित होते हैं

" कश्मीर की बोतल में पंजाब का पानी है , बच्चोंं पे बुढ़ापा है बुड्डोंं पे जवानी हैं " 

आज छात्रों पर नशे का आलम यह है कि छात्र अपनी पॉकेट मनी का सारा पैसा केवल नशे पर ही खर्च कर देते हैं .



सोशल मीडिया - 

सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल आज छात्रों की बर्बादी का एक मुख्य कारण है . सोशल मीडिया की लत ने छात्रों को न केवल हिंसक बनाया है बल्कि छात्रों की पढ़ाई को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है . छात्र अपने बहुमूल्य समय को सोशल मीडिया पर घंटो बैठकर पूरी तरह बर्बाद कर देते है . 
छात्रों को अपराधी बनाने में सोशल मीडिया मुख्य भूमिका निभा रहा है . बल्कि सीधे सीधे यह कहना ठीक रहेगा कि सोशल मीडिया युवाओं को अपराधी बना रहा है .





बराबरी करना -

बराबरी कभी किसी की और किसी भी चीज की नहीं हो सकती है . लेकिन यह बात कम ही छात्रों को समझ आती है . छात्र अक्सर अपने मित्रों की बराबरी करने की कोशिश करते हैं . जबकि प्रत्येक छात्र के परिवार  की आर्थिक स्थिति अलग अलग होती है . छात्रों को अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के अनुरुप ही अपने जीवन में चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए . इस बेवजह की आपसी होड़ में हमेशा नुकसान कमजोर आर्थिक स्थिति वाले छात्रों का ही होता है .





ईष्या भाव रखना -

छात्र अपने जीवन में ईष्या का शिकार बहुत जल्दी होने लगे हैं . ईष्या ना केवल आपको आपके अच्छे मित्र से दूर कर देती है बल्कि यह छात्र जीवन में तनाव का मुख्य कारण है . किसी छात्र के पास किया है वो क्या पहनता है किस से स्कूल आता है इन सब बातों से बचना चाहिए . इस तरह की मनोविकृति ना केवल हीन भावना उत्प्न्न करती है बल्कि गलत कामों की तरह आकर्षित करती है  .





नकारात्मक विचार - 

जिस छात्र जीवन में शिक्षा के अलावा कोई और विचार मन में नहीं आना चाहिए . उस छात्र जीवन में छात्रों का मन नकारात्मक विचारों से भरा होता है . 
हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही कार्य करते हैं . यदि दिन के 24 घंटों में से दस घंटे केवल नकारात्मक बातें करते हैं या सोचते रहते हैं तो धीरे धीरे सोच भी नकारात्मक होने लगती है . और फिर दुनिया के हर इंसान में केवल बुराई ही नजर आने लगती है .





अपने उज्जवल भविष्य और परिवार की इच्छाओंं को ध्यान में रख कर छात्रों को इन पांच चीजों से बचना चाहिए.



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