रामायण के 35+ पवित्र विचार और कथन ; Ramayana Quotes In Hindi.
रामायण - मनुष्य के सुखी जीवन जीने का आधार है जिसके विचार जीवन को बदलने वाले और मनुष्य के गुणों को बढ़ाने वाले है , न सिर्फ आपके व्यक्तित्व का विकास करेंगे और आने वाली भावी पीढ़ी के लिए सत्य की मजबूत नींव तैयार करेंगे.
रामायण के 35+ पवित्र विचार और कथन ; Ramayana Quotes In Hindi.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
1 - " जो पाप तुम कर रहे हो, उसका बंटबारा नहीं होगा."
2 - " राजा को सदैव प्रजा का ध्यान रखना चाहिए."
3 - " क्रोध ही व्यक्ति के समस्त सद्गुणों का नाश करता है. इसलिए क्रोध का त्याग करो."
4- " अच्छे लोगों की संगति में बुरा से बुरा मनुष्य भी सही आचरण करने लगता है."
5 - " दया, सद्भावना और मानवीयता महापुण्यकारी गुण हैं."
6 - " हमेशा प्रसन्न रहना कुछ ऐसा है जिसे प्राप्त करना कठिन है. कहने का अर्थ है, प्रसन्नता और दुःख किसी के जीवन में आते-जाते रहते हैं और ऐसा नही हो सकता ही कि लगातार सिर्फ प्रसन्नता ही बनी रहे."
7 - " धर्म का ज्ञान रखने वाले लोग सत्य को ही सर्वोत्तम धर्म मानते हैं."
8 - " जो व्यक्ति डरपोक और कमजोर होते हैं केवल वही चीजों को भाग्य पर छोड़ देते हैं। इसके विपरीत जो व्यक्ति मजबूत और आत्म-विश्वास रखने वाले होते हैं वो कभी भी भाग्य पर नहीं टिकते हैं."
9 - " दुःख हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। एक दुःख साहस को नष्ट कर देता है। दुःख शिक्षा को नष्ट कर देता है। दुःख हर चीज़ को नष्ट कर देता है। दुःख से बड़ा कोई दुश्मन नहीं."
10 - " एक बुद्धिमान व्यक्ति को त्रासदी या दुर्भाग्य का पूर्वाभास करना चाहिए और हमले से पहले इस तरह की त्रासदी या दुर्भाग्य को रोकने या दूर करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। इस प्रकार केवल वही सुरक्षित और अच्छे जीवन का आनंद ले सकता है."
11 - " बादलों की गड़गड़ाहट जिसने अपना सारा पानी खर्च कर दिया है वह किसी भी बारिश का उत्पादन नहीं करता है। लेकिन वास्तव में बहादुर व्यर्थ में गर्जना नहीं करते हैं; वे कार्रवाई में भी अपनी वीरता दिखाते हैं."
12 - " गलती करना मानव का स्वभाव है, ऐसा कोई भी नहीं है जिसने कभी कोई गलती ना की हो."
13 - " उदास, निराश या हतोत्साहित ना होना हर तरह की समृद्धि और ख़ुशी का आधार है."
14 - " जो लोग हमेशा सच्चाई का पालन करते हैं, वे झूठे वादे नहीं करते। एक वादे को निभाना, निश्चित रूप से, एक की महानता का प्रतीक है
15 - " अपना जीवन त्याग देना कोई अच्छा फल नहीं देता, जीना जारी रखना आनंद और प्रसन्नता का मार्ग है."
16 - " क्रोध वह दुश्मन है जो किसी की जान लेता है। दोस्त के चेहरे से गुस्सा दुश्मन है। क्रोध बहुत तेज तलवार की तरह है। क्रोध सब कुछ नष्ट कर देता है."
17 - " जो कार्य होना निश्चित है उसे छोड़कर, जो व्यक्ति उस कार्य के पीछे भागे जो कार्य अनिश्चित है तो वह व्यक्ति उसके हाथ में आया कार्य भी खो देता है."
18 - " सर्वनाश के प्रमुख 3 कारण इस प्रकार हैं- दूसरों के धन की चोरी, दूसरे की पत्नी पर बुरी नजर और अपने ही मित्रों के चरित्र व अखंडता पर शक."
19 - " बोलने से पहले शब्द मनुष्य के वश में होते हैं, परंतु बोलने के बाद मनुष्य शब्दों के वश में हो जाता है."
20 - " जो व्यक्ति हमेशा रोना रोते हैं , उन्हें जीवन में कभी सुख नहीं मिलता ."
21 - " मित्रता या शत्रुता बराबर वालों से करनी चाहिए."
22 - " बलवान पुरूष क्रोधित नहीं होते ."
23 - " इस दुनिया में दुर्लभ कुछ भी नहीं है, अगर उत्साह का साथ न छोड़ा जाए."
24 - " जब भी कोई भय आपके नजदीक आए तब आपको उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर देना चाहिए."
25 - " उदास, निराश या हतोत्साहित न होना हर तरह की स्मृद्धि और खुशी का आधार है ."
26 - " माता-पिता की सेवा और उनकी आज्ञा का पालन जैसा दूसरा धर्म कोई नहीं है ."
27 - " संसार में ऐसे लोग बहुत कम होते हैं, जो कठोर किंतु हित की बात कहने वाले होते है ."
28 - "जहां हो वहीं से शुरूआत करो , जो तुम्हारे पास है उसी का उपयोग करो और जो तुम कर सकते हो वही करो."
29 - " अभिमानी व्यक्ति, चाहे वह आपका गुरू , पिता व उम्र और ज्ञान में बड़ा भी हो , तभ भी उसे सही दिशा दिखाना अति आवश्यक होता है ."
30 - " विद्धानों व बुद्धिमानों से परामर्श ही विजय का आधार होता है ."
31 - " झूठे व्यक्ति से लोग उसी प्रकार डरते है जैसे जहरीले सांप से ."
32 - " किसी व्यक्ति की वास्तविक स्थिति का ज्ञान उसके आचरण से होता है."
33 - " जो किसी से धन व सामग्री की सहायता लेने के पश्चात अपने दिए हुए वचन का पालन नहीं करता , तो वह संसार में सबसे अधिक बुरा माना जाता है ."
34 - " दया , सदभावना व मानवीयता महा पुण्यकारी गुण हैं."
35 - " जिनके पास धर्म का ज्ञान हैं , वे सभी कहते हैं कि सत्य ही परम धर्म है ."
36 - " जो किसी से धन व सामग्री की सहायता लेने के पश्चात अपने दिए हुए वचन का पालन नहीं करता , तो वह संसार में सबसे अधिक बुरा माना जाता है ."
Comments
Post a Comment