तानाजी मालुसरे का जीवन परिचय ...

तानाजी का जन्म 17 वी शताब्दी में महाराष्ट्र के कोंकण प्रान्त में महाड के पास  " उमरथे " में हुआ था . वे बचपन से ही शिवाजी महाराज के साथ खेल कूद कर बढ़े हुए . तानाजी और शिवाजी एक दूसरे के घनिष्ट मित्र थे . शिवाजी और तानाजी ने हर लड़ाई एक साथ लड़ी थी . जब शिवाजी 1665 की सधि के बाद औरंगजेब से मिलने आगरा गए थे तब भी तानाजी उनके साथ थे . 

आगरा पंहुचने पर औरंगजेब ने शिवाजी और ताना जी को बंदी बना लिया तो शिवाजी और तानाजी फलों की टोकरी में छिपकर वह से निकल गए.


नाम - तानाजी मासुलरे .

जन्म - 1600 .

स्थान - गोदोली ,महाड .

पिता - सरदार कालोजी .

माता - पार्वतीवाई .

भाई - सरदार सूर्याजी .

तानाजी मालुसरे -

मराठा साम्राज्य में वीर योद्धा तानाजी मालुसरे का जन्म 1600ईसवी० में हुआ था . तानाजी का जन्म महाराष्ट्र के ही एक छोटे से गांव जो सातारा जिले में आता था , उस जिले के गोदोली गांव में तानाजी मालुसरे का जन्म हुआ था .तानाजी के पिता सरदार कालोजी और माता पार्वती बाई कलोजी दोनो ही कोली परिवार से ताल्लुक रखते थे तानाजी को बचपन से ही बच्चोंं की तरह खेलना पसंद नही था बल्कि तलवार बाजी का शौक था जिसके चलते वे छत्रपति शिवाजी से मिले और बचपन से ही उन दोनों में घनिष्ठ मित्रता हो गई .

1665 की संधि - 

1665 में मुगल शासक औरंगजेब और शिवाजी के बीच हुई ,जिसे पुरंदर संधि कहते है . पुरंदर संधि के तहत कोढाणा और इसके जैसे 23 और दूसरे किले भी मुगलों मिल गए थे . 
लेकिन आगरा में उनके साथ हुए घटनाक्रम के बाद शिवाजी ने पुंरधर संधि को मानने से इंकार कर दिया और अपने सभी किलों को वापस हासिल करने की प्रक्रिया शुरु कर दी .

पहली प्राथमिकता कोढाणा किला -

कोंढाणा किला लगभग 800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित था ,जिस पर औरंगजेब के सेनापति " उदभान राठौर राजपूत का कब्ज़ा था .शिवाजी इसे जीतना चाहते थे .

कोढाणा किले के लिए शिवाजी की तैयारी और तानाजी का आगमन -

जब शिवाजी कोंढाणा पर चढ़ाई करने की तैयारी कर रहे थे वही दूसरी ओर तानाजी अपने पुत्र रायबा के विवाह की तैयारी कर रहे थे ,जब तानाजी विवाह के लिए शिवाजी को आंमत्रित करने पहुंचे तब उनको ज्ञात हुआ कि शिवाजी कोंढाणा पर चढ़ाई करने जा रहे हैं .
तब तानाजी ने कहां महाराज में कोंढाणा पर आक्रमण करुंगा . लेकिन शिवाजी ने तानाजी से मना किया कि आपके घर पुत्र का विवाह है आप नही जा सकते .

तब तानाजी ने कहां ,महाराज अगर में युद्ध से लौट कर आ गया तो पुत्र का विवाह मैं खुद करुगा और अगर मैं मर गया तो मेरे पुत्र का विवाह शिवाजी महाराज करेंगे .


शिवाजी की सेना में कई और सरदार थे लेकिन शिवाजी ने तानाजी को कोंढाणा पर आक्रमण करने के लिए चुना . उनकी वीरता के कारण ही शिवाजी उन्हें " सिंह " कहा करते थे .

दोनों में परामर्श होने के बाद फिर वे सेना लेकर दुर्गम कोढाणा दुर्ग के लिए निकल पड़े . ताना जी के नेतृत्व में मराठा सेना ने रात मेंं  आक्रमण कर दिया .

तानाजी का साहस और 342 सैनिक -

तानाजी के साथ केवल 342 सैनिक थे . जब वे किले पर चढ़ाई के लिए तैयार थे तो उनके भाई सूर्याजी 500 सैनिकों के साथ दुर्ग में पहले से इंतजार कर रहे थे. लडाई शुरु हो गई और लड़ते - लड़ते उदयभान राठौर ( जो की मुगल सेनापति जय सिंह के आदेश पर किले की रक्षा कर रहा था ) ने तानाजी की ढाल को काट दिया . उन्होंने सर पर बंधे कपड़े को अपने हाथ पर बांधकर तलवार के वार को कपड़े बंधे हाथ से रोकने लगे .

उदयभान राठौड़ के साथ लड़ते हुए तानाजी वीरगति को प्राप्त हो गए. कुछ समय लड़ने के बाद शेलार मामा के हाथों उदयभान रठौड़ भी मारा गया और कोंंढाणा को शिवाजी के सैनिकों ने जीत लिया . जब यह समाचार शिवाजी को मिला तो उन्हें प्रसन्ता के साथ दु:ख भी हुआ तब शिवाजी ने कहा .

" गढ़ तो हाथ में आया परन्तु मेरा शेर चला गया "

उसी दिन से कोंढाणा का नाम सिंहगढ़ हो गया .

इन्हें भी पढ़े -






Comments

Tranding Now

चे ग्वेरा के क्रांतिकारी अनमोल विचार ; Che Guevara Thoughts In Hindi .

इक्ता प्रथा क्या है , कब और किसने शुरु की ..

दुनिया के 20 सर्वश्रेष्ठ दार्शनिकों के 40 चुनिंदा अनमोल विचार.

बेनिटो मुसोलिनी के 21 अनमोल विचार; Benito Mussolini Quotes In Hindi.

इतिहास के सबसे क्रूर राजा चंगेज खान के अनमोल विचार.

जीन - पॉल सार्त्रे के अनमोल वचन ; jean - Paul Sartre Quotes In Hindi.

जॉन स्टुअर्ट मिल के 20 अनमोल उद्धरण : John Stuart Mill 20 Uplifting Quotes In Hindi.