1857 क्रांति के मुख्य क्रांतिकारी तात्या टोपे का जीवन परिचय ; Tatya Tope Biography & History In Hindi.
1857 की क्रांति के मुख्य क्रांतिकारियों में से एक है तात्या टोपे . तात्या टोपे का नाम भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य रूप से भाग लेने वाले सेनानियों में प्रमुख रूप से शामिल है . तात्या टोपे ने अपने युद्ध कौशल और बेहतरीन रणनीति के चलते उन्होंने अंग्रेजों को परेशान करने के साथ अपनी वीरता का परिचय दिया .
1857 क्रांति के मुख्य क्रांतिकारी तात्या टोपे का जीवन परिचय ; Tatya Tope Biography & History In Hindi.
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प्रसिद्ध नाम = तात्या टोपे .
वास्तविक नाम = रामचंद्रराव पाडुरंगराव येवलकर .
जन्म और जन्म स्थान = 1814 , यवला ( महाराष्ट्र ) .
पिता = पांडुरंग राव .
माता = रूकमा बाई या रुक्मणि .
भाई, बहन। = मुख्य रूप से 8 भाई बहन .
शुरूआती जीवन और शिक्षा -
1857 के मुख्य क्रांतिकारी तात्या टोपे का जन्म सन 1814 में यवला ( महाराष्ट्र ) में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था . ये अपने 8 भाई - बहनों में सबसे बड़े थे और इनके पिता पेशवा बाजीराव द्वितीय के यह उनके शासन का गृह - विभाग का काम देखते थे .
1818 में अंग्रेजों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय से उनका राज्य हड़पने की कोशिश की . लेकिन पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों के सामने घुटने टेकने की जगह अंग्रेजों से युद्ध करना ज्यादा उचित समझा . लेकिन इस युद्ध में पेशवा द्वितीय की हार हुई और अंग्रेजों को अपना राज्य सौपते हुए एक समझौता हुआ जिसके तहत पेशवा बाजीराव द्वितीय को सम्मान सहित उनके पैतृक गांव बिठूर भेज दिया . 1818 में लड़े गए इस युद्ध में हार के बाद और समझौते के तहत अंग्रेजों से पेशवा बाजीराव द्वितीय आठ लाख रूपये सालाना पेंशन के तौर पर लेते रहे .
अपने पैतृक गांव बिठूर में आ कर और समझौते के तहत अंग्रेजों से सालाना आठ लाख रुपये पेशन प्राप्त करने के बाद पेशवा बाजीराव
द्वितीय ने अपना ध्यान भजन कीर्तन में लगा दिया.
वहीं तात्या के पिता भी अपने पूरे परिवार सहित पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेवा करने के लिए बिठूर में आ कर रहने लगे . जिस समय तात्या बिठूर आए उस समय उनकी उम्र मात्र 4 साल थी . बिठूर में रहकर ही क्रांतिकारी तात्या टोपे ने युद्ध प्रशिक्षण गृहण किया . तात्या ने शस्त्रों की शिक्षा " नाना साहिब " और " लक्ष्मीबाई " के साथ ली थी . एक बार धनुविद्या की एक परीक्षा में बालाजी राव , बाबा भट्ट , नाना साहिब , लक्ष्मीबाई और तात्या को पांच - पांच तीर दिए गए जिनमें से क्रमशः 2 - 2- 3 - 4 और तात्या ने पांच तीरों पर निशाना साधा .
1857 की क्रांति की शुरूआत -
5 जून 1857 को कानपुर में क्रांति की शुरूआत हो चुकी थी .जिसमें क्रांति की बागडोर नाना साहेब के हाथ में थी . नाना सहेब और तात्या टोपे के कुशल नेतृत्व के कारण 25 जून 1857 को अंग्रेजी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया .और इसके साथ ही जून माह के अंत में नानासाहेब को पेशवा घोषित कर दिया . लेकिन कुछ समय बाद ही कानपुर में दूसरे युद्ध में नाना साहेब और तात्या टोपे को अंग्रेजों के हाथों हार का सामना करना पड़ा और हार के बाद पेशवा नानासाहेब मुख्य धारा से अलग हो गए लेकिन क्रांतिकारी तात्या टोपे ने अंग्रेजों के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रखा .
1858 में तात्या टोपे द्वारा रानी लक्ष्मीबाई की सहायता -
जनवरी 1858 में झांसी पर अंग्रेजों का हमला होने पर रानी लक्ष्मीबाई ने अपने सहपाठी ( तात्या टोपे , रानी लक्ष्मीबाई से 12 - 15 साल बड़े थे लेकिन शस्त्रों का अध्य्यन एक साथ किया ) तात्या टोपे से मदद मांगी , तब तात्या टोपे 15000- 20000 सैनिकों को साथ लेकर झांसी रानी लक्ष्मीबाई की मदद के लिए पहुंचे . लेकिन रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे के अथक प्रयास के बाद भी वह अंग्रेज जनरल रोज से पराजित हो गए और इस युद्ध की सबसे बड़ी क्षति रानी लक्ष्मीबाई का 18 जून 1858 को वीर गति को प्राप्त होना था .
क्रांतिकारी तात्या टोपे का निधन -
कानपुर के दूसरे युद्ध में अंग्रेजों से हारने के बाद तात्या टोपे ने अंग्रेजों के साथ अपना संघर्ष जारी रखा जबकि नाना साहिब अब उनके साथ संघर्ष में शामिल नही थे . तात्या टोपे ने अपनी रणनीति बदलते हुए गुरिल्ला युद्ध को अपना हथियार बनाया . जिसे आम तौर पर सरल भाषा में छापामार युद्ध बोला जाता है . तात्या टोपे ने विंध्या की खाई से लेकर अरावली पर्वतश्रंखला तक अंग्रेजों से गुरिल्ला युद्ध में काफी क्षति पहुंचाई और अंग्रेजों द्वारा काफी कोशिश करने के बाद भी वह हाथ नहीं आए . तात्या टोपे को गद्दार सेनापति मानसिंह ने राजगद्दी के लालच में अंग्रेजों के साथ मिलकर गुप्त सूचना पर 7 अप्रैल 1859 को सोते हुए गिरफ्तार कर लिया गया और अंग्रेजी अदालत के आदेशनुसार 18 अप्रैल 1859 को फांसी दे दी गई .
महत्वपूर्ण बातें -
वास्तविक नाम = रामचंद्र पांडुरंगा येवलकर .
प्रसिद्ध नाम = तात्या टोपे .
जन्म = 16 फरवरी 1814 .
स्थान = येवला ( महाराष्ट्र ) .
भाई ,बहन = आठ भाई बहनों में सबसे बड़े .
अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार = 7 अप्रैल 1859 , मानसिंह की गद्दारी के कारण.
मृत्यु = 18 अप्रैल 1859 , शिवपुरी , मध्यप्रदेश .
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