मुगल बादशाह बाबर का जीवन परिचय, आगमन और युद्ध ; Mughal Emperor Babur Biography In Hindi.
भारत में मुगल साम्राज्य के संस्थापक और प्रथम मुगल बादशाह बाबर ने भारत पर 5 बार आक्रमण किया . पिता की अचानक मृत्यु होने के बाद मात्र 12 साल की छोटी उम्र में बाबर ने राजगद्दी को संभाला . बाबर का जन्म उज्बेकिस्तान ( उस समय मध्य एशिया ) में हुआ था . बाबर एक महान योद्धा था और छोटी उम्र से ही जंग के मैदान में उतर गए थे .
बाबर तैमूर और चंगेज खान के वंशज थे . बाबर अपने पिता की ओर से तैमूर का पांचवा और माता की ओर से चंगेज खान का चौदहवां वंशज की संतान थे .
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मुगल बादशाह बाबर का जीवन परिचय -
वास्तविक नाम = जहिरुदीन मुहम्मद बाबर .
प्रसिद्ध नाम = बाबर .
जन्म = 14 फरवरी 1483 .
स्थान = फ़रग़ान घाटी , मध्य एशिया .
पिता = उमर शेख मिर्जा .
माता = कुतलुग निगार खानम .
पत्नी = आयशा सुल्तान , जैनब सुल्तान , गुलरूख बेगम आदि .
पुत्र = हुमायूं , कामरान मिर्जा .
पुत्री = गुलबदन बेगम .
मृत्यु = 26 दिसंबर 1530 .
मुगल बादशाह बाबर का जीवन -
बाबर का जन्म फ़रग़ान घाटी के अन्दीझान नामक गांव में हुआ था जो अब उज्बेकिस्तान का हिस्सा है . पिता के निधन के बाद बाबर को बहुत कम उम्र में ही अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो चुका था और 12 वर्ष की अल्प आयु में ही उन्होंने अपने पिता की राजगद्दी को संभालना शुरू कर दिया . अपने पैतृक राज्य फ़रग़ाना ने बाबर ने अपना पहला युद्ध लड़ा जिसमें बाबर को जीत हासिल हुई लेकिन कुछ समय बाद हुए युद्ध में वे अपने पैतृक राज्य फ़रगाना को हार गए .
इसके बाद उन्हें एक बेहद कठिन जीवन यापन का सामना करना पड़ा . कई सालों तक उन्होंने निर्वासन में अपना जीवन बिताया , उस समय उनके साथ कुछ भरोसेमंद लोग , किसान और संबंधी थे .
1496 में बाबर ने उज़्बेक शहर समरकंद पर हमला किया और 7 महीने लंबे युद्ध के बाद उसे जीत लिया . जिस समय बाबर समरकंद के युद्ध में व्यस्त था उसी समय उसके भरोसेमंद सरदार ने फ़रग़ना पर अपना अधिकार जमा लिया . जब बाबर अपने पैतृक राज्य फ़रग़ना को अधिकार में लेने के लिए निकला तो उसके सैनिकों ने समरकंद में उसका साथ छोड़ दिया , परिणाम स्वरूप समरकंद और फ़रग़ना दोनों ही बाबर के हाथ से चले गए .
इस हार के बाद बाबर ने अपना पूरा ध्यान अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने में लगा दिया . 1504 में एक नए राज्य काबुल पर बाबर ने अपना नियंत्रण स्थापित किया . नए राज्य मिलने से उसका मनोबल कई गुना बढ़ चुका था . जिसके कुछ समय बाद उसने फ़रग़ना और समरकंद को भी जीत लिया .
मुगल बादशाह बाबर का भारत आगमन -
बाबर काबुल , फ़रग़ना और समरकंद में पनप रहे असंतोष को लेकर काफी चिंतित था . वह अपने शासन के लिए किसी नए राज्य की तलाश में था , उस समय भारत के दिल्ली सल्तनत में अराजकता की स्थिति बनी हुई थी . बाबर को अपना साम्राज्य विस्तार करने के लिए भारत उचित लगा .
दिल्ली सल्तनत के दो मुख्य दावेदार आलम खान और दौलत खान ने बाबर को भारत आने का निमंत्रण भेजा . बाबर को निमंत्रण बहुत पसंद आया और उसने अपने राज्य विस्तार के लिए दिल्ली कूच किया .
बाबर द्वारा पानीपत का पहला युद्ध ( 21 अप्रैल 1526 ) -
पानीपत का पहला युद्ध भारतीय राजाओं की आपसी फूट का नतीजा था . जिसके मुख्य नायक - राजा राना संग्राम सिंह ( राणा सांगा ) , राजगद्दी के लालच में पागल आलम खान और दौलत खान थे .
राणा सांगा, आलम खान और दौलत खान ने बाबर को इब्राहिम लोदी से युद्ध का न्योता भेजा और भरपूर सहयोग का भरोसा दिलाया . बाबर की सेना इब्राहिम लोदी के अनुपात में काफी छोटी थी . इसलिए बाबर ने युद्ध से पहले इब्राहिम लोदी के राज्य और सेना की चार बार जांच पड़ताल की और 21 अप्रैल 15 26 में बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत का युद्ध लड़ा गया.
सेना के संगठन के अभाव और आपसी मतभेदो के बीच इब्राहिम लोदी यह युद्ध बाबर से आसानी से हार गया . खुद को हारता देख इब्राहिम लोदी युद्ध मैदान से भाग गया और आत्महत्या कर ली .
1526 का यही वो समय था जब भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी . इसके बाद बाबर भारत में ही रूक गया और उसने भारत में अपने राज्य विस्तार के बारे में गहन विचार किया .
खनवा का युद्ध ( 17 मार्च 1527 ) -
पानीपत के युद्ध के बाद बाबर का मनोबल काफी बढ़ चुका था और वे भारतीय राजाओं के मतभेदों को भी अच्छी तरह पहचान चुका था .राजा राणा सांगा जिसने बाबर को इब्राहिम लोदी से युद्ध के लिए भारत आने का न्योता भेजा था उसे लगा था कि बाबर इब्राहिम लोदी से जीत कर वापस चला जाएगा . लेकिन ऐसा न हो सका .
राणा सांगा के नेतृत्व में राजपूत काफी मजबूत स्थिति में थे और वे इब्राहिम लोदी की दिल्ली पर कब्जा करना चाहते थे .
अब दिल्ली के वास्तविक राजा बाबर की सेना राजपूतों की सेना के मुकाबले आधी भी नहीं थी . आत्मविश्वास से भरे राजपूतों ने राणा सांगा के नेतृत्व में बाबर की सेना पर हमला कर दिया .
17 मार्च 1527 में बाबर और राजपूत सेना के बीच खनवा में भीषण युद्ध हुआ जिसमें राजपूतों का जीतना लगभग तय था .लेकिन गलत रणनीति के चलते युद्ध में राणा सांगा घायल हो गया और बाबर की विजय हुई .
चंदेरी का युद्ध ( 29 मार्च 1528 ) -
खनवा युद्ध जिसमें राजपूतों की ताकत पूरी तरह नष्ट नहीं हुई थी . खनवा युद्ध में राजपूतों को हराने के बाद बाबर की नजर अब चंदेरी पर थीह. बाबर ने चंदेरी के तत्कालीन राजपूत राजा मेदनी राय से वहां का महत्वपूर्ण किला मांगा और बदले में अपने द्वारा जीते हुए कोई भी एक किला देने की पेशकश की .लेकिन राजपूत राजा ने चंदेरी का किला देने से साफ इंकार कर दिया . जिसके परिणाम स्वरूप चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 में तत्कालीन राजा मेदनी राय और बाबर के बीच हुआ . जिसमें बाबर की जीत हुई .
घाघरा का युद्ध ( 16 मई 1529 ) -
राजपूतों को पूरी तरह से हराने के बाद बाबर को बिहार और बंगाल के आसपास के आफगानी शासकों से चुनौती मिलने लगी . बंगाल और बिहार के अफगानी शासक बाबर को भारत से भगाना चाहते थे .
बाबर ने गंगा नदी पर करके घाघरा नदी के पास अफगानों को एक घमासान युद्ध में पराजित कर दिया .
महान मुगल शासक बाबर की मृत्यु -
22 साल की उम्र में बाबर के उत्तराधिकारी और बड़े बेटे हुमायूं को एक अजीब बीमारी हुई . जिस पर किसी भी दवा का कोई असर नहीं हो रहा था . बाबर अंदर से घुट रहा था . बाबर ने ईश्वर से दुआ की कि उसके बेटे की सारी बीमारी उसे लग जाए और वे ठीक हो जाए . यह एक संयोग ही था कि बाबर बीमार होने लगा और हुमायूं ठीक होने लगा . 48 साल की उम्र में 26 दिसंबर , 1530 को बाबर की मृत्यु हो गई .
याद रखने योग्य जानकारी -
1 - बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 में फ़रग़ना में हुआ था .
2 - भारत में मुगल साम्राज्य 1526 में शुरू हुआ , मुगल वंश का वास्तविक संस्थापक बाबर था .
3 - बाबर ने 1526 से 1530 तक शासन किया .
4 - " बाबर ने 1507 में बादशाह की उपाधि धारण की .
5 - बाबर ने भारत में पहला युद्ध 21 अप्रैल 1526 को लड़ा जो बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच हुआ .
6 - खनवा का युद्ध 17 मार्च 1527 में राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ .
7 - चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 में मेदनीराय और बाबर के बीच हुआ .
8 - घाघरा का युद्ध 6 मई 1529 में बिहार और बंगाल के अफगानों के साथ हुआ .
खानवा का युद्ध जीतने के बाद बाबर को गाजी की उपाधि प्रदान की गई.
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