अफ्रीका के गांधी कहे जाने वाले नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय .
नेल्सन मंडेला ने रंगभेद और अन्याय के खिलाफ लड़ाई के चलते अपने जीवन के महत्वपूर्ण 27 साल जेल में बिताने पड़े थे .दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे रंगभेद का विरोध करने वाले महान जननायक नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई साल 1918 को म्वेजो ईस्टर्न केप ,दक्षिण अफ्रीका संघ में हुआ . अंहिसा के रास्ते पर चलने वाले नेल्सन मंडेला को 1993 में शांति नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था .
नेल्सन मंडेला -
नाम - नेल्सन मंडेला .
जन्म - 18 जुलाई 1918 .
स्थान - म्वेजो ,केप प्रांत ,दक्षिण अफ्रीका.
पिता - गेडला हेनरी म्फकेनिस्व .
माता - नेक्योफी नोसकेनी .
पत्नी - एवलिन नटोको मेस (1944-1957), विनी मदिकिजेला ( 1958- 1996) ,ग्राशा मैचल (1998-2013 )
बच्चे - मेडिका थेमबेकल मंडेला , मैकजिव मंडेला ,मैकगाथो लेवानिका मंडेला ,मैकजिव मंडेला ,जेनानी मंडेला जिंजिस्वा मंडेला .
प्ररम्भिक जीवन और शिक्षा -
नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई साल 1918 को म्वेजो ईस्टर्न केप ,दक्षिण अफ्रीका संघ में हुआ था . इनके पिता गेडला हेनरी म्वेजो ,कस्बे के जनजातीय सरदार थे . हेनरी की तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी की कोख से ही मंडेला का जन्म हुआ .नेल्सन मंडेला ,हेनरी की 13 वीं संतानों में से तीसरे नंबर के थे . स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला .
नेल्सन मंडेला को प्राथमिक स्कूल में ईसाई नाम " नेल्सन " दिया गया . मंडेला ने अपनी प्ररम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की . उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली . मंडेला जब 12 साल के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी .
हाई स्कूल से स्नातक होने के बाद मंडेला फोर्ट हारे यूनिवर्सिटी कॉलेज मेंं बीए की डिग्री के अध्ययन के लिए गए . लेकिन यह एक छात्र के विरोध में भाग लेने के कारण उन्हें स्नातक होने से पहले ही निष्काषितकर दिया गया . द्वारे में मिले एक दोस्त ओलिवर टेम्बो से मिले ,जो करीबी दोस्त और सहयोगी बना . स्नातक से निष्काषित होने के बाद घर लौटे मंडेला को ज्ञात हुआ कि परिवार उनकी शादी की व्यवस्था में लगा है .इस बात से नाखुश मंडेला अपने एक करीबी दोस्त के साथ जोहान्सबर्ग के लिए रवाना हो गया . जोहान्सबर्ग में मंडेला ने एक कोयला खदान में चौकीदार के रुप में काम किया .
मंडेला का राजनीतिक जीवन -
1941 में जोहान्सबर्ग पहुंचे मंडेला की मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्वरटाइन से हुई .जिन से प्रभावित होकर देश में होने वाले रंग के आधार पर भेदभाव को दूर करने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा .
जोहान्सबर्ग में मंडेला कम्युनिस्ट पार्टी की बैठकों और सम्मेलनों में भाग लेना शुरु कर दिया, हालांकि वह सदस्य नही बन पाए .
1943 में पहले मंडेला अफ़्रीकी नेशनल कांग्रेस में कार्यकर्ता बनने के बाद मंडेला ANC यूथ लीग के संस्थापक बने थे .इसके बाद मंडेला ने वकालत की पढ़ाई की और अपने साथी ओलीवर टोम्बो के साथ जोहान्सबर्ग मेंं वकालत करने लगे .
इसी दौरान मंडेला ने राजनीति में अधिक रुचि लेने लगे और उन्होंने अफ़्रीकी नेशनल कांग्रेस ANC की युवा शाखा को कार्यकारी समिति में सेवा देने में मदद की .उस समय दक्षिण अफ्रीका को एक सफेद सरकार ने शासित किया जिसने रंगभेद की एक प्रणाली लगाई . इसका मतलब था कि नस्लीय भेदभाव संस्थागत रुप से था .
जिस कारण दैनिक जीवन के सभी पहलुओं में नस्लीय अलगाव उत्प्न्न हो गया और काले दक्षिण अफ्रीकी के मूलभूत सुविधाएं और अधिकिरोंं की कमी हो गई . अधिकार इतने सीमित कर दिए गए थे की काले लोगों को वोट देने का अधिकार नही था .
1952 में नेल्सन मंडेला ने कानूनी लड़ाई के लिए एक कानूनी फर्म की स्थापना की . नेल्सन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया . वर्ग भेद के आरोप में उन्हे जोहान्सवर्ग के बाहर भेज दिया गया . उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया कि वे किसी भी बैठक में भाग नही ले सकते . सरकार के दमन चक्र से बचने के लिए नेल्सन और ऑलिबर ने एक एम प्लान बनाया . एम का मतलब मंडेला था . निर्णय लिया कि कांग्रेस को टुकड़ो में तोड़कर काम किया जाए . प्रतिबंध के बाबजूद नेल्सन मंडेला कैपटाउन चले गए और वहां कांग्रेस के जलसो में भाग लेने लगे .
इसी कारण1956 में उनके साथ 155 कार्यकर्ताओंं पर मुकदमा चलाया गया ,जिसे चार साल बाद ख़त्म कर दिया गया .
1960 मे ANC पर प्रतिबंध लगा दिया . मंडेला ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अभियान चलाया था .5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप गिरफ्तार कर लिया गया . उन पर मुकदमा चलाया गया और1964 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई . 1964 से 1990 तक रंगभेद और अन्याय के खिलाफ लड़ाई के चलते उन्हें जेल में जीवन के 27 साल बिताने पड़े . उन्हें रॉबेन द्वीप के कारागार में रखा गया था जहां उन्हें कोयला खदान में काम करना होता था . इस दौरान उन्होंने गुप्त रूप से अपनी जीवनी लिखी .जेल में लिखी गई उनकी जीवनी 1994 में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई जिसका नाम " लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम " है .
जेल से रिहा होकर बने राष्ट्रपति-
मंडेला के जेल सेल के बाहर की दुनिया में , रंगभेदी विरोधी आंदोलन पूरे विश्व से लोकप्रिय समर्थन हासिल कर रहा था .दक्षिण अफ्रीका में बढ़ती हिंसा और अशांति के मद्देनजर , मंडेला की रिहाई के लिए वार्ता शुरु हुई ,और ANC राजनीतिक कैदियों को रिहा करना शुरु कर दिया .
अपनी पार्टी के भीतर विरोध के बावजूद द क्लर्क ने वार्ता के साथ आगे बढ़कर 1990 में मंडेला की रिहाई की घोषणा की .रिहा होने पर मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ अपनी लडा़ई जारी रखी और वैश्विक समर्थन प्राप्त किया . पहले दक्षिण अफ्रीका चुनाव में काले लोगों को वोट देने का अधिकार दिया गया था .
ANC ने जीत हासिल की और दक्षिण अफ्रीका के पहले काले राष्ट्रपति के रूप में मंडेला को चुना . उन्होंने 1999 में अपनी रिटायरमेंट तक अपने देश का नेतृत्व किया , जिसमे सत्य और सुलह की एक संक्रमणकिलीन न्याय नीति का निरीक्षण किया गया .
नेल्सन मंडेला का निजी जीवन -
क्रांति की राह पर चलने के कारण शुरुआत में जब उनकी उम्र 24 साल थी परिवार ने शादी करने की सोची तो मंडेला घर छोड़कर भाग गए थे ,इस घटना के बाद हैरान करने वाली बात यह है कि बाद में उन्होंने 3 शादियां की थी . पहली शादी उन्होंने अपने मित्र व सहयोगी वॉल्टर सिसुलू की बहन इवलिन मेस से शादी की . 1961 में मंडेला पर देशद्र्हो का मुकदमा चलाया गया परंतु उन्हें अदालत ने निर्दोष पाया इसी दौरान उनकी मुलाकात अपनी दूसरी पत्नी नोमजामो विनो मेडीकिजाला से हुई . 1998 पर अपने 80 वे जन्म दिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से शादी की .
मंडेला की इन तीन शादियों से उनकी छह संताने हुई .
मृत्यु -
दक्षिण अफ्रीका के प्रथम राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की मृत्यु 5 दिसम्बर 2013 को फेफड़ो में संक्रमण होने के कारण हॉटन , जोहान्सवर्ग में स्थित अपने घर पर हुई .
मंडेला के विचार -
1 - मै जातिवाद से बहुत नफरत करता हूँ, मुझे यह बर्बरता लगती है .फिर चाहे काले के साथ हो या गोरे के साथ .
2- अगर आप अपने दुश्मन के साथ शांति बनाना चाहते हैं तो आपको अपने साथ दुश्मन के साथ काम करना होगा तब वह आपका साथी बनेगा .
3 -जब तक काम ना किया जाए तो असंभव ही लगता है .
4- बड़े गर्व की बात कभी ना गिरने में नहीं बल्कि हर बार गिर कर उठने में हैं .
प्रमुख सम्मान -
नोबेल शांति पुरस्कार.
प्रेसिडेंट मैडल ऑफ फ्रीडम .
आर्डर ऑफ़ लेनिन .
भारत रत्न .
निशान - ए- पाकिस्तान .
गांधी शांति पुरस्कार .
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