13 वीं सदी के सबसे क्रूर शासक चंगेज खान का इतिहास .

13 वीं सदी की शुरुआत में उत्तर पश्चिम एशिया के मैदान से एक ऐसा शख्स उठा जिसने दुनिया को हिलाकर रख दिया .

13 वीं सदी के सबसे क्रूर शासक चंगेज खान का इतिहास .

चंगेज खान का जीवन परिचय -

वास्तविक नाम = तेमुजिन .

प्रसिद्ध नाम     = चंगेज खान.

जन्म              = 1162 .

स्थान             = ओनोक नदी के किनारे , मंगोल.

पिता             = पेसुजेई .

माता             = होयलन.

पत्नी             = बोरते .

मृत्यु               = 1227 .



चंगेज खान 13 वीं सदी का सबसे क्रूर और बर्बर शासक था . बेहतरीन घुड़सवार और गजब के तीर अंदाज इस मंगोल शासक से दुनिया का हर शासक खौफ खाता था . चंगेज खान युद्ध से पहले ही अपने दुश्मन के हौसले को अपनी चपलता से परास्त करने में माहिर था .

अपनी क्रूरता और बर्बरता के चलते चंगेज खान की ख्याति मंगोल साम्राज्य के बहार भी तेजी से फैलने लगी. चंगेज खान ने अपने जीवन में इतना खून खराबा देखा था कि युवा होते - होते वह अंदर से बेहद कठोर और निडर बन चुका था .

चंगेज खान के पिता येसुजेई अपने कबीले " कियात " के सरदार (मुखिया ) थे . चंगेज खान के जन्म के समय पूरा मंगोलिया क्षेत्र छोटे छोटे कबीलों में बंटा था . छोटे छोटे कबीले अपनी ताकत बढ़ाने के लिए दूसरे कबीलों पर हमला करते थे . ऐसे ही एक हमले में चंगेज खान के पिता की बेहरमी और बर्बरता के साथ हत्या कर दी गई . इस घटना ने चंगेज खान को निर्दया और क्रूर बना दिया .

चंगेज खान की क्रूरता और युद्ध कुशलता से इतिहास भरा पड़ा है .चंगेज खान ने अपनी युद्ध कुशलता के चलते मंगोल साम्राज्य का विस्तार किया . चंगेज खान ने यूरोप और एशिया के सहित दुनिया की लगभग 20% जमीन पर मंगोल  साम्राज्य का विस्तार किया .चंगेज खान ने यूरोप और एशिया केज्यादातर हिस्सों को तबाह कर दिया था . 
चंगेज खान की निर्दयता का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हो कि दक्षिणी चीन के शुंग साम्राज्य जिसने चंगेज खान की अनेक युद्धों में सहायता की थी , लेकिन उसने उस साम्राज्य को भी नहीं बख्शा था . 
चंगेज खान अपनी संगठन शक्ति , बर्बरता तथा साम्राज्य विस्तार के लिए कुख्यात रहा . मंगोलिया के लोग चंगेज खान का नाम बड़ी इज्जत और फख्र के साथ लेते हैं . विस्तार से जानते हैं चंगेज खान की क्रूरता और बर्बरता के इतिहास के बारे में .

चंगेज खान का शुरुआती जीवन -

चंगेज खान का जन्म 1162 ईस्वी में मंगोलिया में स्थित ओनोक नदी के किनारे खानाबदोश कबीले में हुआ था .चंगेज खान के बचपन का नाम तेमुजिन था . तेमुजिन के पिता का नाम येसूजेई था . येसूजेई कियात कबीले के सरदार थे . चंगेज खान के 3 सगे भाई व 1 सगी बहन थी और 2 सौतेले भाई भी थे . चंगेज खान की दाई हथेली पर पैदाइसी खूनी धब्बा था .

चंगेज खान जब छोटा ही था तभी उसके पिता की कबीलों के आपसी संघर्ष में निर्दयता के साथ हत्या कर दी गई . चंगेज खान की मां ने बहुत कठिनाई के साथ उसके सौतेले भाई बहिन तथा चंगेज खान का पालन पोषण किया .

तेमुजिन (चंगेज खान) की पहली लड़ाई - 

तेमुजिन की मां होयलन ने उसकी शादी 12 वर्ष की आयु में कबीले की लड़की बोरते के साथ कर दी . कुछ ही समय बाद दूसरे कबीले ने उसकी पत्नी बोरते का अपहारण कर लिया था .अपनी पत्नी बोरते को वापस लाने के लिए चंगेज खान को संघर्ष करना पड़ा तथा एक निर्णयक जीत के साथ अपनी पत्नी को अपहरण से मुक्त कराया . इस संघर्ष में चंगेज खान का उम्र भर साथ निभाने वाला एक दोस्त " बोघूरचू " बना . बोघूरचू चंगेज खान का आजीवन मित्र बना रहा .

चंगेज खान की पहली विजय -

जमूका ,चंगेज खान का सगा भाई था . चंगेज खान की पत्नी को छुड़ाने के संघर्ष में जमूका चंगेज खान के साथ था तथा चंगेज खान का विश्वास पत्र भी था . लेकिन बाद में वह शत्रु बन गया. जमूका के साथ संघर्ष में जमूका पर जीत के साथ उसका  आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया . चंगेज खान ने अपने मित्र बोघूरचू के साथ मिलकर अन्य कबीलों पर विजय पाकर वह कबीलों का सरदार बन गया . 

1203 ईसवी में चंगेज खान ने अपने पिता के हत्यारेंं ओंग खान के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया . 1206 में जमूका और ओंग खान की हार के साथ चंगेज खान स्टेवी क्षेत्र का सबसे ताकतवर सरदार बन गया . चंगेज खान ने छोटे बड़े सभी कबीले अपने अधीन कर लिए .
चंगेज खान के बढ़ते प्रभाव के कारण ही कबीलों के सरदारों की सभा ने उसको चंगेज खान ( समुद्री खान ) की उपाधि दी .

चंगेज खान का अगला लक्ष्य साम्राज्य का विस्तार -

ओंग खान पर विजय के साथ चंगेज खान अब एक ताकतवर शासक बन चुका था . चंगेज खान ने अपनी बुद्धि और युद्ध कौशल के आधार पर अपने दोस्त बोघूरचू के साथ मिलकर लडाकू और निडर योद्धाओंं को लेकर एक आक्रमक और क्रूर सेना तैयार की .

चंगेज खान की क्रूरता और बर्बरता का शिकार सबसे पहले 1209 में तिब्बत को होना पड़ा . तिब्बत की सेना चंगेज खान की सेना के मुकाबले कही ज्यादा बड़ी थी . लेकिन लाचार नेतृत्व के कारण चंगेज खान के कुशल घुड़सवारों ने तिब्बत की सेना को बुरी तरह रौंद डाला. तिब्बत पर जीत के साथ ही वह पर भारी लूटपाट और हत्याएं की तथा बड़ी संख्या में महिलाओं का अपहरण कर लाया गया .इस सफल और निर्णायक जीत के साथ उसने पहले से कही बड़ी सेना का नेतृत्व करने को तैयार था . इतिहासकारों के अनुसार चंगेज खान की सेना जहां से गुजरती थी . अपने पीछे तबाही और बर्बादी की निशानियां छोड़ जाती थी .

1213 में  आत्मविश्वास से लबरेज चंगेज खान ने चीन की महान दीवार पर आक्रमण कर दिया और 1214 में चीन के नगर पेकिंग में भारी लूटपाट की और चीनी शहरों को पूरी तरह तहस नहस कर दिया . यह जीत मंगोल साम्राज्य के लिए महत्वपूर्ण जीत थी . चंगेज खान को रातों - रात दुनिया के उस समय के महत्पूर्ण रेशम के व्यापार पर एकाधिकार मिल गया .

चीन को जीतने के बाद दुनिया के सबसे क्रूर शासक की साम्राज्य विस्तार की लालसा बढ़ती ही जा रही थी . 
2206 से 1227 तक चंगेज खान ने यूरोप ,एशिया सहित बड़े बड़े राज्योंं को अपने अधिकार में ले लिया . उसने मध्य एशिया के राज्योंं को पूरी तरह रौंद डाला .

चंगेज खान की क्रूरता और बर्बरता का शिकार वैसे तो दुनिया की 20% हिस्सा रहा , लेकिन चंगेज खान ने सबसे ज्यादा क्रूरता ईरान में की . दुनिया के क्रूर शासक ने जब ईरान पर हमला किया तो उस समय वह का शासक ख्वारिज्म था .ख्वारिज्म का उत्तराधिकारी जलालुद्दीन मंगवानी था . जलालुद्दीन मंगवानी चंगेज खान से इतना भयभीत था कि वह. सिंध नदी के तट पर पहुंच गया था और उसने उस समय के दिल्ली के शासक सुल्तान इल्तुतमिश से सहायता मांगी . लेकिन चंगेज खान के भय से इल्तुतमिश ने जलालुद्दीन की सहायता करने से इंकार कर दिया . इतिहासकारों के अनुसार चंगेज खान ने पूरे ईरान को घेर लिया. लूटपाट और हत्याएं करने के बाद उसने पूरे राज्य में आग लगवा दी. एक अनुमान के मुताबिक उस समय चंगेज खान ने ईरान की 75% आबादी को मौत के घाट ऊतार दिया . इसका शिकार बूढ़े ,बच्चे ,जवान ,औरते यहा तक की छ: माह तक के बच्चे भी शामिल थे .

चंगेज खान ने ईरान के बाद गजनी और पेशावर को लूट अपने अधिकार में ले लिया . इसके बाद चंगेज खान ने सिंधु नदी को पार करके उत्तरी भारत और असम के रास्ते मंगोलिया वापस जाने की तैयारी की . चंगेज खान असहाय गर्मी और प्राकृतिक कठिनाईओं के चलते अपना इरादा बदल दिया और वापस मंगोलिया लौट गया ,जिसके चलते दुनिया के सबसे क्रूर शासक से भारत सुरक्षित रहा .मंगोलिया पहुंच कर चंगेज खान गंभीर बीमारी की चपेट में आ गया . अपने जीवन कि अधिकांश समय युद्ध में व्यतीत करने वाले चंगेज खान की साल 1227 में  मृत्यु हो गई .

चंगेज खान की सफलता के रहस्य -

चंगेज खान ने अपनी पहली निजी लडा़ई में अपनी क्रूरता और सफलता का परिचय दे दिया था . 1174 में चंगेज खान की पत्नी बोरते का अपहरण कर लिया गया था . तब बोघूरचू के साथ मिलकर गुप्त योजना के तहत ना केवल अपनी पत्नी को अपहरण से मुक्त कराया बल्कि अपनी क्रूरता का परिचय भी दिया . पारंपरिक युद्धों में भी चंगेज खान का कुशल नेतृत्व और घुड़सवारों को खास योजना के तहत शामिल किया .

उस समय राज्योंं के पास पारंपरिक पैदल सेना और हाथियों का इस्तेमाल करते थे . चंगेज खान युद्ध में गति लाने के लिए घोड़ोंं का इस्तेमाल करता था . चंगेज खान के कुशल नेतृत्व में उसके घुड़सवार  टुकड़िया शत्रु की सेना को तहस नहस कर देती थी .
चंगेज खान अपने सैनिकों और घुड़सवारों को विशेष ट्रेनिंंग देता था .

चंगेज खान की क्रूरता के उदाहरण -

  • 13 वीं सदी में विशाल साम्राज्य खड़ा करने वाला मंगोल शासक चंगेज खान इतिहास का " सबसे बड़ा " हमलावर था .
  • चंगेज खान जिधर से भी निकलता था . वह थोड़ा सा भी विरोध होने पर आस - पास के इलाकों को खून से लथपथ कर देता था .
  • चंगेज खान ने अपने ईरान हमले में वह की 75% आबादी को पूरी तरह ख़त्म कर दिया . ईरान को उतनी ही आबादी में वापस आने में 750 साल लगे .
  • एक अनुमान के मुताबिक चंगेज खान ने लड़े गए युद्धों में तकरीबन 4 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार दिया.
  • 1213 में चीन की महान दीवार को 1,00,000 की फौज लेकर तोड़ दिया और शहरों को तहस नहस कर दिया.
  • एक अनुमान के मुताबिक चंगेज खान ने उस समय की दुनिया की आबादी और एक चौथाई हिस्से को पूरी तरह नष्ट कर दिया . इतिहास में किसी भी राजा  द्वारा किया गया सबसे बड़ा रक्तपात था .
  • मंगोल शासक चंगेज खान के आगे पूरी दुनिया जीतने वाले सिंकदर और जूलियस सीजर जैसे सूरमा भी बौने साबित होते हैं .
  • चीन के शुंग साम्राज्य ने चंगेज खान की युद्धों में अनेक बार सहायता की थी लेकिन क्रूर शासक चंगेज खान ने शुंग साम्राज्य को भी नहीं बख्शा था .
  • चंगेज खान ने निर्दयतापूर्ण उज्बेकिस्तान के सबसे बड़े शहर बुखारा और समरकंद को जला दिया था . उसके इस कुकर्म की बजह से हजारों लोग जिंदा ही जलकर राख में मिल गए थे .
  • महज कुछ सालों के अंदर खून की होली खेलते , खोपड़ियों की मीनार खडी करते , हंसते बसते शहरों की राख उड़ाते हुए चंगेज खान एशिया - यूरोप तक की सल्तनत का मालिक बन गया .

चंगेज खान से जुड़ी रोचक जानकारी -

  • चंगेज खान का असली नाम तेमुजिन था ,इसका जन्म 1162 ईस्वी में मंगोलिया देश की ओनोक नदी के किनारे हुआ था .
  • चंगेज खान के पिता येसुजेई अपने कबीले के सरदार थे . येसुजेई की हत्या बचपन में ही कर दी गई थी .
  • 12 साल साल कीउम्र में चंगेज खान की शादी बोरते नामक लड़की से कर दी गई. कुछ समय बाद दूसरे कबीले ने बोरते का अपहरण कर लिया .
  • बोघूरचू , चंगेज खान का खास दोस्त था . चंगेज खान के दिल में बोघूरचू के लिए विशेष  स्थान था . बोघूरचू अजीवन चंगेज खान के साथ रहा . बोघूरचू की मदद से ही चंगेज खान अपनी पत्नी को वापस लाने में सफल रहा .
  • चंगेज खान की दांयी हथेली पर पैदाइसी खूनी धब्बा था जिसे देख   भविष्यवक्ता ने कहा था कि ये बहुत बड़ा शासक बनेगा .
  • तेमुजिन की अधीनता स्वीकार करने के बाद तमम कबीलों के सरदारों ने चंगेज खान ( समुद्रों के राजा ) की उपाधि दी थी .
  • इतिहासकारों के मुताबिक चंगेज खान ने दर्जनों शादियां की थी . चंगेज खान के बेटों की संख्या 200 बताई जाती हैं .
  • 18 अगस्त 1227 को चंगेज खान ने अपने जीवन की आंतिम सांस ली .

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धन्यवाद .

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