जयचंद्र भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा गद्दार कैसे .

जयचंद्र भारतीय इतिहास का सबसे बदनाम नाम है . जयचंद्र को देश का सबसे बड़ा गद्दार बताया जाता है ,और हो भी क़्यो न आखिर जयचंद्र के कहने पर ही मोहम्मद गौरी फिर से भारत पर हमला करने आया था . जयचंद्र की मदद से ही भारत में पहला विदेशी  आक्रमण सफल रहा था . और पहला विदेशी गवर्नर कुतुबुद्दीन ऐबक को नियुक्त किया गया जो मोहम्मद गौरी का सेनापति था . आखिर वो कौन सा अपमान था जिस कारण जयचंद्र ने इतना विनाशकारी कदम उठाया .

जयचंद्र - 

प्रतीकात्मक चित्र

जयचंद्र कन्नौज साम्राज्य के राजा थे . वो गहरवार से थे जिसे अब राठौड़ राजवंश के नाम से जाना जाता है . दरअसल पृथ्वीराज चौहान और जयचंद्र की आपसी दुश्मनी काफी पुरानी थी . जयचंद्र और पृथ्वीराज चौहान में युद्ध भी हो चुके थे .लेकिन इस बार जयचंद्र के अपमान की वजह बनी उनकी बेटी संयोगिता जिसे पृथ्वीराज चौहान स्वयंवर से उठा कर ले गए थे .
जयचंद्र इस अपमान का बदला लेना चाहता था, लेकिन जयचंद्र के पास अब इतनी सैन्य शक्ति नही थी कि वह पृथ्वीराज चौहान से युद्ध कर सके और अपने अपमान का बदला ले सके .
जयचंद्र के गुप्तचर जयचंद्र को बताते हैं कि मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान से अपनी हार का बदला लेना चाहता है . (पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच 1191 तराइन का पहला युद्ध हुआ था जिसमे मोहम्मद गौरी बुरी तरह हार जाता है .) जयचंद्र पहले से ही अपमान कि घूंट पीकर बैठा था . यह खबर मानो उसके लिए किसी जादुई दवा से कम नही थी . वह तुरंत मोहम्मद गौरी के पास संदेश भेजता है . जयचंद्र ,गौरी को युद्ध के लिए  आमंत्रित करता है तथा हर संभव मदद का भरोसा दिलाता है . जिसमे सैन्य मदद भी शामिल थी . मोहम्मद गौरी , जयचंद्र के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति देता है . जयचंद्र ,गौरी को उचित समय की प्रतीक्षा करने और तैयार रहने को कहता है .

जयचंद्र की गलतफहमी -

जयचंद्र इस बात से बेहद खुश था . जयचंद्र का मानना था कि मोहम्मद गौरी केवल लूटपाट करके और पृथ्वीराज चौहान से अपनी पराजय का बदला लेकर वापस लौट जाएगा और वह भारत में सबसे शक्तिशाली राजा बन जाएगा .
जयचंद्र अन्य राजाओं को भी बेटी संयोगिता को उठा ले जाने पर सहानुभूति प्राप्त कर लेता है . जयचंद्र राजपूत राजाओं से मोहम्मद गौरी के आक्रमण के समय पृथ्वीराज चौहान की सहायता ना करने की बात कहता है जिसे राजपूत राजा मान लेते है और पृथ्वीराज चौहान की सहायता ना करने का वचन देते हैं .

1192 तराइन का युद्ध -

जयचंद्र की सूचना के अनुसार मोहम्मद गौरी भारत की ओर कूच कर देता है . यह खबर जब पृथ्वीराज चौहान तक पहुंचती है तो वह राजपूत राजाओं से मदद करने को कहता है . जिसे राजपूत राजा ,जयचंद्र के कहे अनुसार अस्वीकार कर देते हैं साथ ही मोहम्मद गौरी की तरफ से अपनी सैन्य टुकडी को पृथ्वीराज चौहान की सेना से लड़ने भेजते है .
पृथ्वीराज चौहान के पास अपनी खुद की तीन लाख सैनिकों की विशाल सेना थी . जिसमें बड़ी संख्या में हाथी थे . हाथी भारतीय राजाओं की पहली पसंद हुआ करते थे . हाथियोंं द्वारा किसी भी सेना में भगदड़ की जा सकती थी . जिससे दुश्मन की सेना भयभीत हो जाती थी .
मोहम्मद गौरी के पास पृथ्वीराज चौहान की तुलना में काफी छोटी सेना थी जिसकी संख्या एक लाख बीस हजार के आसपास थी . मोहम्मद गौरी की सेना की सबसे बड़ी ताकत उसके घुड़सवार सैनिक थे जो तीर और तलवार चलाने में माहिर थे तथा घोड़े अपनी गति से उनकी यह क्षमता दोगुनी कर दिया करते थे . लेकिन इस युद्ध में मोहम्मद गौरी की सबसे बड़ी ताकत थी राजपूत राजाओं की सैन्य टुकड़ी जो युद्ध मैदान से अच्छी तरह परिचित थी .
कुछ समय तक तो पृथ्वीराज चौहान की सेना ने मोहम्मद गौरी की सेना पर अपनी बढ़त बना ली ,लेकिन रात होते होते मोहम्मद गौरी की सेना और राजपूत राजाओं की सेना ने पृथ्वीराज चौहान की सेना पर अपनी विजय बढ़त हासिल कर ली . जिसका जयचंद्र को  बेसब्री से इंतजार था  . जयचंद्र के कन्नौज राज्य में खुशियां मनाई गई . पृथ्वीराज चौहान युद्ध हार चुके थे . पृथ्वीराज चौहान को पहले बंदी बनाया गया फिर उनकी हत्या कर दी गई.
युद्ध जीतने के बाद मोहम्मद गौरी ने अपने सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को भारत का गवर्नर नियुक्त कर दिया . 
पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद जयचंद्र अब उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली राजा बन चुका था . लेकिन कुछ साल बाद मोहम्मद गौरी ने जयचंद्र को भी युद्ध में हरा दिया . 

जयचंद्र की कुछ बड़ी गलतियां जो देश को भारी पड़ी -

  • जयचंद्र ने मोहम्मद गौरी जैसे खतरनाक विदेशी आक्रमणकारी को भारत में आक्रमण का न्योता दिया .
  • मोहम्मद गौरी को ना केवल सही समय की सूचना देना बल्कि अपनी सेना द्वारा मोहम्मद गौरी को सहायता प्रदान करना .
  • पृथ्वीराज चौहान के विरुद्ध अन्य राजपूत राजाओं को भड़काना .
  • जयचंद्र का मानना था कि मोहम्मद गौरी लूटपाट करके वापस चला जाएगा ,लेकिन परिणाम जयचंद्र की सोच के विपरीत हुआ .
  • जयचंद्र की सैन्य सहायता करने का नतीजा यह हुआ कि राजपूत सैनिक ,राजपूत सैनिको को ही मारने लगे .
  • पृथ्वीराज चौहान की हार के साथ ही विदेशी राज की नीव पड़ गई और यह सब जयचंद्र के कारण ही  संभव हो पाया .
  • जयचंद्र ने ना केवल पृथ्वीराज चौहान को धोखा दिया बल्कि देश के साथ भी धोखा किया .


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