धर्म विचारक रमण महर्षि के 20+ अनमोल विचार.
धर्म विचारक रमण महर्षि के 20+ अनमोल विचार.
Ramana Maharshi ( December 30 , 1879 - April 14 , 1950 ) - रमण महर्षि एक प्रतिष्ठित हिंदू ऋषि थे . उन्हें अठारह वर्ष की आयु में एक ' मृत्यु - अनुभव ' हुआ था , जहां वे एक ' बल ' से परिचित हुए , जिसे बाद में उनके द्वारा ' व्यक्तिगत ईश्वर के रूप में पहचाना गया . Ramana Maharshi द्वारा कई प्रथाओं और रास्तों को मंजूरी दी गई थी.
1 - " एक निश्चित समय पर जो सही है उसे करें और बाकी को पीछे छोड़ दे."
Ramana Maharshi.
2 - " आपकी अपनी आत्म - साक्षात्कार सबसे बड़ी सेवा है जो आप दुनिया को प्रदान कर सकते हैं."
Ramana Maharshi.
3 - " सुख तुम्हारा स्वभाव है . इसकी इच्छा करना गलत नहीं है. क्या गलत है, जब वह अंदर है तो उसे बाहर ढूंढना."
Ramana Maharshi.
4 - " आप विचारों के प्रवाह को केवल उसमें रूचि लेने से इंकार करके ही रोक सकते हैं."
Ramana Maharshi.
5 - " न अतीत है न भविष्य है . केवल वर्तमान है."
Ramana Maharshi.
6 - " बिना प्रयास के कोई भी सफल नहीं होता.... जो सफल होते हैं वे अपनी सफलता का श्रेय दृढ़ता को देते है."
Ramana Maharshi.
7 - " स्वयं को महसूस करने के लिए केवल " स्थिर रहने " की आवश्यकता है ."
Ramana Maharshi.
8 - " वर्तमान जन्म का एकमात्र उपयोगी उद्देश्य . अपने भीतर मुड़ना और स्वयं को महसूस करना है."
Ramana Maharshi.
9 - " अंत में सब कुछ ठीक हो जाएगा."
Ramana Maharshi.
10 - " आप पहले से ही वही हैं जो आप चाहते है."
Ramana Maharshi.
11 - " अपना कर्तव्य निभाना ईश्वर की सबसे बड़ी सेवा है ."
Ramana Maharshi.
12 - " खुद को समझे बिना दुनिया को समझने की कोशिश करने से क्या फायदा ?."
Ramana Maharshi.
13 - " शांति आपकी प्रकृतिक अवस्था है . यह तुम्हारा मन है जो इसे नष्ट कर देता है ."
Ramana Maharshi.
14 - " जो कहा जाता है वह श्रोताओं के स्वभाव के अनुकूल होता है ."
Ramana Maharshi.
15 - " जो प्रेम का रहस्य जानता है, वह विश्व प्रेम से दुनिया को पाता है."
Ramana Maharshi.
16 - " कर्म और ज्ञान एक दूसरे में बाधक नहीं है."
Ramana Maharshi.
17 - " मन वह चेतना है जिसने मर्यादाएं निर्धारित की है . आप मूल रूप से असीमित और परिपूर्ण है . बाद में आप सीमाएं निर्धारित करते है और मन बन जाते है."
Ramana Maharshi.
18 - " शरीर मर जाता है, लेकिन जो आत्मा उससे आगे निकल जाती है वह मृत्यु को छू नहीं सकती."
Ramana Maharshi.
19 - " दुख मनुष्य को उसके रचायिता की ओर मोड़ देता है ."
Ramana Maharshi.
20 - " जब विचार होते हैं, तो वह व्याकुलता होती है : जब विचार नहीं होते तो वह ध्यान होता है."
Ramana Maharshi.
21 - " अपना कर्तव्य निभाना ईश्वर की सबसे बड़ी सेवा है।"
Ramana Maharshi.
22 - " जागरूकता आपका दूसरा नाम है. चूकि आप जागरूक है ; इसलिए इसे प्राप्त करने या विकसित करने की कोई आवश्यकता नहीं है."
Ramana Maharshi.
23 - " प्रश्न " मैं कौन हूँ ? सभी दुखों को दूर करने और परम आनंद की प्राप्ति का प्रमुख साधन है ."
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