सती प्रथा ? शुरुआत और अंत .

हमारे समाज में एक सोच बहुत ज्यादा प्रभावशाली है वो है बिना सोचे समझे-विचारे किसी भी प्रथा को जन्म दे देना . संपूर्ण ज्ञान के अभाव में लोग गलत परम्पराओं को अपना लेते है चाहे फिर वे समाज ,या किसी व्यक्ति के लिए दु:ख दायी ही क्योंं ना हो . कुछ इसी तरह की सोच का परिणाम थी  " सती प्रथा" ,सती प्रथा में जीवित विधवा पत्नी को मृत पति की चिता पर , पति के साथ जिंदा जला दिया जाता था .

 प्रतीकात्मक चित्र

सती प्रथा की शुरुआत - मान्यताओंं के अनुसार .

सती प्रथा की शुरुआत मां दुर्ग के सती रुप के साथ हुई थी जब उन्होंने अपने पति भगवान शिव के पिता दक्ष के द्वारा किये गये अपमान से क्षुब्द होकर अग्नि में आत्मदाह कर लिया था . सती शब्द आज के समय में एक पवित्र औरत की व्याख्या करने में प्रयुक्त होता है . यह प्राचीन हिन्दू समाज की एक घिनौनी एंव गलत प्रथा थी .
सती प्रथा हमारे भारतीय समाज के लिए एक अभिशाप का रूप लेकर आई .इस प्रथा ने ना जाने कितनी ही स्रियों को बलि पर चढ़ाया . इस क्रूर प्रथा ने अनगिनत घर -परिवारों को नष्ट किया .
धर्म और सभ्यता के नाम पर इस प्रथा ने भारत में अंधकार फैलाया .

भारतीय इतिहास में सती होने का पहला प्रमाण -

भारतीय इतिहास में सती होने के पहले प्रमाण गुप्तकाल में 510 ईसवी के आसपास मिलते हैं जब महाराजा भानुप्रताप के साथ गोपराज भी युद्ध भूमि पर भानुप्रताप का साथ दे रहें थे . गोपराज की युद्ध में मृत्तु हो जाने के बाद उनकी पत्नी ने सती बन कर अपने प्राण त्याग दिये थे .

" प्राचीन काल में भारत में सती प्रथा का एक बड़ा कारण यहां भी हो सकता है कि आक्रमणकारियोंं द्वारा जब पुरुषों की हत्या या युद्ध में मारे जाने के बाद उनकी पत्नियां अपनी अस्मिता व आत्मसम्मान को महत्वपूर्ण समझकर अपने पति की चिता के साथ आत्मत्याग करने पर विवश हो जाती थी "

उस समय बाल विवाह की प्रथा भी थी . कहीं - कहीं तो 50 वर्ष के व्यक्ति के साथ12-13 वर्ष की बच्ची का विवाह कर दिया जाता था और फिर अगर उस व्यक्ति की मृत्तु हो जाती थी तो उस बच्ची को भी उसकी चिता पर बैठा कर जिंदा जला दिया जाता था .
" हिन्दू धर्म के चारों वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अर्थवेद में से किसी में भी सती प्रथा से जुड़ी कोई भी व्याख्या नहीं की गई.

मुगल काल में सती प्रथा पर रोक की कोशिश -

सबसे पहले मुगल शासनकाल में हुमायूं ने सती प्रथा पर रोक की कोशिश की. उसके बाद अकबर महान ने सती प्रथा पर रोक लगाने का आदेश दिया , चूकि महिलाएंं अपनी मर्जी से ऐसा करती थी इसलिए उन्होंने आदेश दिया,कि कोई भी महिला अपने मुख्य पुलिस अधिकारी से अनुमति के बगैर ऐसा नहीं कर सकती .

राजा राम मोहन राय की भाभी का सती होना -

राजा राम मोहन राय किसी काम से विदेश गए थे और इसी बीच उनके भाई की मौत हो गई. उनके भाई की मौत के बाद सती प्रथा के नाम पर उनकी भाभी को जिंदा जला दिया गया. 
इस घटना से वह बहुत आहत हुए और ठान लिया कि जैसा उनकी भाभी के साथ हुआ , वैसा अब किसी और महिला के साथ नहीं होने देंगे .

सती प्रथा के अंत की शुरुआत -

सती प्रथा जैसी समाज की कुरीति को समाप्त करने में राजा राम मोहन राय की अहम भूमिका थी . अपने जीवन में घटी घटना के बाद उन्होंने इस प्रथा को खत्म करने की ठान ली .
राजा राम मोहन राय ने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन और पत्रकारिता के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की . उनके आंदोलनोंं ने जहां पत्रकारिता को चमक दी वही उनकी पत्रकारिता ने आंदोलनों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया . उनके जीवन का एक ही लक्ष्य सती प्रथा का निवारण.
आधुनिक भारत के जनक कहें जाने वाले राजा राम मोहन राय ने ना केवल सती प्रथा का विरोध किया बल्कि उन्होंने समाज के  उत्थान के लिए विधवा विवाह को सामाजिक स्वीकृति देना जरुरी बताया .
राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा की गलत परंपराओंं , धारणाओं और उसके प्रभावों के साथ उसके निवारण पर हिंदी ,अंग्रेजी और बांग्ला भाषा में पुस्तकें लिखकर बंटवाई .

सती प्रथा का अंत -

भारत में ब्रिटिश राज में अंग्रेज भी, राज राम मोहन राय की तरह सती प्रथा को एक समाज कूरीति ही मानते थे ,लेकिन धार्मिक दृष्टि से सती प्रथा के मजबूत होने की वजह से उन्होंने इसे सीधा समाप्त करने के बजाय इसका प्रभाव धीरे-धीरे कम करने पर विचार किया.
वही दूसरी तरफ राजा राम मोहन राय अपना अंदोलन समाचार पत्रों तथा मंच दोनों माध्यमोंं से चला रहे थे . इनका विरोध इतना अधिक था कि एक अवसर पर तो उनका जीवन खतरे में पड़ में पड़ गया था . उनके पूर्ण और निरंतर समर्थन का ही प्रभाव था कि सती प्रथा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.
इसके विपरीत जब सती प्रथा के कट्टर समर्थक लोगों ने जब इंग्लैंड में प्रिवी कांंउन्सिल मेंं  प्रार्थना पत्र दाखिल किया , तब उन्होंने भी अपने प्रगतिशील मित्रों और साथी कार्यकर्तओं की ओर से ब्रिटिश संसद के सम्मुख अपना विरोध  प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया . उन्हें तब प्रसन्नता हुई , जब प्रिवी कांंउन्सिल ने सती प्रथा के समर्थकों के पार्थना पत्र अस्वीकृत कर दिया .

" तत्कालीन ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बिलियम बेंटिक द्वारा 4 दिसंबर , 1829 को बंगाल सती रेग्युलेशन पास किया था " 

इस कानून के माध्यम से पूरे ब्रिटिश भारत में सती प्रथा पर रोक लगा दी गई. रेग्युलेशन में सती प्रथा को इंसानी प्रकृति की भावनाओं के विरुद्ध बताया .

Comments

Tranding Now

दुनिया के 20 सर्वश्रेष्ठ दार्शनिकों के 40 चुनिंदा अनमोल विचार.

चे ग्वेरा के क्रांतिकारी अनमोल विचार ; Che Guevara Thoughts In Hindi .

जॉन स्टुअर्ट मिल के 20 अनमोल उद्धरण : John Stuart Mill 20 Uplifting Quotes In Hindi.

न्यायविद और दार्शनिक जेरेमी बेंथम के अनमोल विचार : Jeremy Bentham Quotes In Hindi.

इतिहास के सबसे क्रूर राजा चंगेज खान के अनमोल विचार.

Herbert Spencer Quotes In Hindi : हरबर्ट स्पेंसर के अनमोल विचार.

अरुणा असफ अली के अनमोल विचार ; Aruna Asaf Ali Quotes In Hindi.