रसूल अल्लहा का आखिरी हज का खुत्वा .
मैदान ए अराफात (मक्का )में 9 जिहिलज्ज ,10 हिजरी को मोहमम्द
सल.अलैहि वसल्लम ने हज का आखिरी खुत्वा दिया था .
बहुत ही अहम संदेश दिया था . गौर से पढ़े , हर बात पढ़े और सोचे कि कितना अहम संदेश दिया था .
(1) ऐ लोगों : सुनों , मुझे नही लगता के अगले साल में तुम्हारे दरमियान मौजूद हूंगा , मेरी बातों को गौर से सुनो और इनको उन लोगों तक पहुचाओ जो यहां नही पहुंच सके .
(2) ऐ लोगों : जिस तरह ये आज का दिन ये महीना और ये जगह इज्जत और हुरमत वाले हैं , बिल्कुल उसी तरह दूसरे मुसलमानों की जिंदगी इज्जत और हुरमत वाले है . "तुम उसको छोड़ नही सकते "
(3) लोगों के माल और अमानतें उनको वापस दो .
(4) किसी को तंग ना करो , किसी का नुकसान ना करो , ताकि तुम भी महफूज रहो .
(5) याद रखो , तुम्हें अल्लहा से मिलना हैं और अल्लहा तुम से तुम्हारे आमाल के बारे में सवाल करेगा .
(6) अल्लहा ने सूद ( ब्याज) को ख़त्म कर दिया , इसलिए आज से सारा सूद माफ (ख़त्म )कर दो .
(7) तुम औरतों पर हक रखते हो , और वो तुम पर हक रखती हैं , जब वो अपने हुकूम पूरे कर रही है तो तुम भी उनकी सारी जिम्मेदारियां पूरी करो .
(8) औरतों के बारे में नरमी अख्तियार करो , क्योंंकि वो तुम्हारी शराकत दार और बेलौस खिदमत गुजार रहती हैं .
(9) ऐ लोगो : मेरी बात गौर से सुनो , सिर्फ अल्लहा की इबादत करो , 5 फर्ज नमाजे पूरी रखो , रमजान के रोजे रखो और जकात अदा करते रहो ,अगर इस्तेताअत हो तो हज करो .
(10) कभी जिना के करीब भी मत जाना .
(11) हर मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है , तुम सब अल्लहा की नजर में बराबर हो ,बरतरी सिर्फ तकवे की वजह से है .
(12) याद रखो : तुम सब को एक दिन अल्लहा के सामने अपने अमल की जबाब देही के लिए हाजिर होना है , खबरदार रहो ; मेरे बाद गुमराह ना हो जाना .
(13) याद रखना : मेरे बाद कोई नबी नही आने वाला , ना कोई दीन लाया जाएगा , मेरी बाते अच्छी तरह समझ लो .
(14) मै तुम्हारे लिए दो चीजे छोड़ कर जा रहा हूं कुरआन और मेरी सुन्नत ,अगर तुमने उनकी पैरवी की तो कभी गुमराह नही होगें .
(15) सुनो : तुम लोग जो मौजूद हो इस बात को अगले लोगों तक पहुंचाना , और वो फिर से अगले लोगों तक पहुंचाए . और ये मुमकिन है के बाद वाले मेरी बात को पहले वालों से ज्यादा वेहतर समझे सके ( अमल करें )
ऐ अल्लहा : गवाह रहना ,मैने तेरा पैगाम तेरे वन्दो तक पहुंचा दिया: हम पर भी फर्ज है . इस पैगाम को सुने ,समझे अमल करे ,और इसको दूसरों तक भी भेजे ताकि अहम बाते सीखे .
( या रब दुनिया के मुसलमानो की परेशनियांं दूर कर और उनको अखिरत में कामयाबी अता कर और तेरे सिवा किसी का मोहताज ना बना ,अमीन .)
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