Sabarimala temple ; सबरीमाला मंदिर चमत्कार और विवाद .
सबरीमाला मंदिर .
भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.यह हर दिन लाखों लोग दर्शन करने आते है ,इस मंदिर में विराजमान है भगवान अयप्पा . 800 साल साल पुराने इस मंदिर में ये मान्यता पिछले काफी समय से चल रही है कि महिलाओं को मंदिर मेंं प्रवेश ना करने दिया जाए ,जिसके कुछ खास कारण बताए जाते हैं.
(1) कौन थे भगवान अयप्पा - पौराणिक कथाओं के अ नुसार भगवान अयप्पा के पिता शिव और माता मोहिनी हैं विष्णु का मोहिनी रुप देखकर भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था .उनके वीर्य को (पारद) कहा गया और उनके वीर्य से ही बाद मेंं सस्तव नामक पुत्र का जन्म हुआ .जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा कहा गया. शिव और विष्णु से उत्पन होने के कारण भगवान अयप्पा को 'हरिहर पुत्र' के नाम भी जाना जाता है हरिहर के अलावा भगवान अयप्पा को अयप्पन ,शास्ता,मणिकांता नाम से भी जाना जाता है .सबरीमाला मंदिर को दक्षिण भारत का तीर्थ स्थल भी कहा जाता है .
(2) सबरीमाला मंदिर का इतिहास - सबरीमाला मंदिर केरल की राजधानी तिरुवंतपुरम से 175 किमी दूरी पर मौजूद है जो समुद्रतल से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है .ये दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल भी माना जाता है .
धार्मिक कथाओं के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान भोले नाथ भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर मोहित हो गए थे और इसी के प्रभाव से एक बच्चे का जन्म हुआ ,जिसे पंपा नदी के तट पर छोड़ दिया इस दौरान राजा राजशेखर ने उन्हें 12 सालों तक पाला ,बाद में अपनी माता के लिए शेरनी का दूध लाने जंगल गए अयप्पा ने राक्षषी महिषि का वध भी किया .
(3) कब होता है सबरीमाला में महोत्सव - ये पूजा धनु मास के समय जब सूर्य धनु राशि में होता है .उसके 11 या 12 वे दिन होती है .इसकी तैयारियां 41 दिन पहले से ही शुरु हो जाती है इस व्रत की शुरुआत मलयालम कैलेंडर के अनुसार जब सूर्य वृश्चिक राशि में होता है तब हो जाती है .
एक अन्य कथा के अनुसार पंडालम के राजा राजशेखर ने अयप्पा को पुत्र के रुप में गोद लिया .लेकिन भगवान अयप्पा को यह सब अच्छा नही लगा और वो महल छोड़कर चले गए ,आज भी यही प्रथा है कि हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर पंडालम राजमहल से अयप्पा के आभूषणों को संदूकों में रखकर एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है जो नब्बे किलोमीटर की यात्रा तय करके तीन दिन में सबरीमाला पहुंचती है .पंद्रह नवंबर का मंडलम और चौदह जनवरी की मकर विलक्कू ,ये सबरीमाला के प्रमुख उत्सव हैं.
(4) 18 पवित्र सीढ़िया - सबरीमाला मंदिर तक पहंचने के लिए 18 पावन सीढि़यों को पार करना पड़ता है ,जिनके अलग अलग कार्य बताए गए है, पहली पांच सीढ़ियों को मनुष्य की पांच इंद्रियों से जोड़ा जाता है ; इसके बाद 8 सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है ,तीन सीढ़ियों को मानवीय गुण और अखिरी दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है.
(5) सबरीमाला मंदिर से जुडा विवाद - करीब 800 साल पुराने इस मंदिर में यह मान्यता पिछले काफी समय से चल रही है कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना करने दिया जाए खासकर 10 से 50 साल के बीच की महिलाएं मंदिर में दर्शन नही कर सकती .
इसका कारण यह है कि भगवान अयप्पन ब्रह्मचारी थे इसलिए यहां पे छोटी कन्याएं आ सकती हैं जो (रजस्वला) ना हुई हों या बूढ़ी औरतें जो इससे मुक्त हो चुकी हैं .
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