भारत का एक मात्र समुदाय जो रख सकता है बिना लाइसेंस ,हाथियार??
भारत का एक मात्र समुदाय ऐसा है जिसका हर शख्स रख सकता है बिना लाइसेंस ,हाथियार .
अभी तक आप लोग जानते थे कि अमेरिका में कोई भी शख्स हथियार रख सकता हैंं वो भी बिना लाइसेंस का ,नही पता तो आपको बताते है कि अमेरिका में कोई भी शख्स बिना लाइसेंस के हथियार खरीद सकता ,आपको केवल हथियार की तय कीमत चुकानी होगी और आप अपनी पंसद का हथियार अपने घर ला सकते हैं. है ना कमाल
लेकिन क्या आप जानते हैं भारत मे भी ऐसा होता है तो शायद आप अंसमजस में पड़ जाएगें ,लेकिन यह सच है.
कुर्ग समुदाय - केंंद्र सरकार ने कर्नाटक के लड़ाका समुदाय कुर्ग के कोडवाओं को बिना लाइसेेंंस हथियार रखने की छूूूट दी है जिसमे वो दोनाली, पिस्तौल, रिवाल्वर जैसे हथियार रखने की छूूूट दी है यह छूट उनको ब्रिटिश काल से चली आ रही हैं, जिसको सरकार ने जारी रखने का फैसला किया हैैं .
कोडवा समुदाय के लोग (कालीपोठ) उत्सव पर हथियारों का पूजन करते है और सरकार ने समुदाय की सांस्कृतिक एव धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर फैसला किया है .
कर्नाटक का यह समुदाय कुर्ग क्षेत्र से ताल्लुक रखता है जिन लोगो को यह छूट दी गई है ,उसमे कुर्ग समुदाय का प्रत्येक व्यक्ति शामिल है .कोडवा या कुर्ग देश का एकमात्र समुदाय है जिसे बिना लाइसेंस के हथियार रखनी की अनुमति है .यह छूट 2029 तक के लिए बढ़ा दी गई हैं.
कोडवा लोगों को यह छूट एक सदी से अधिक समय से मिलती रही है क्योंंकि इन्होंने कभी भी हथियारोंं का दुरूपयोग अपराधों,राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में नही किया.
' फिल्ड मार्शल के एम करिअप्पा और जनरल के एस थिमैया कुर्ग समुदाय से ही थे जिन्होंने भारतीय सेना का नेतृत्व किया था .'
कोडवा समुदाय के लोग (कालीपोठ) उत्सव पर हथियारों का पूजन करते है और सरकार ने समुदाय की सांस्कृतिक एव धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर फैसला किया है .
कर्नाटक का यह समुदाय कुर्ग क्षेत्र से ताल्लुक रखता है जिन लोगो को यह छूट दी गई है ,उसमे कुर्ग समुदाय का प्रत्येक व्यक्ति शामिल है .कोडवा या कुर्ग देश का एकमात्र समुदाय है जिसे बिना लाइसेंस के हथियार रखनी की अनुमति है .यह छूट 2029 तक के लिए बढ़ा दी गई हैं.
कोडवा लोगों को यह छूट एक सदी से अधिक समय से मिलती रही है क्योंंकि इन्होंने कभी भी हथियारोंं का दुरूपयोग अपराधों,राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में नही किया.
' फिल्ड मार्शल के एम करिअप्पा और जनरल के एस थिमैया कुर्ग समुदाय से ही थे जिन्होंने भारतीय सेना का नेतृत्व किया था .'
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